बलरामपुर, मार्च 15 -- गैंड़ास बुजुर्ग, संवाददाता। एक दशक पहले दस रमजान तक मशहूर सिलाई मास्टरों की दुकानों पर हाउसफुल का बोर्ड लटक जाता था। लेकिन अब इस तरह का नजारा देखने को नहीं मिलता। दिन प्रतिदिन महंगी होती सिलाई व रेडिमेड कपड़ों के प्रति लोगों के बढ़ते रुझान के कारण सिलाई मास्टरों का रंग फीका पड़ गया है। ज्यादातर वस्त्र व्यवसायी रमजान के दौरान हाथ पर हाथ धरे बैठने को विवश हैं। इन दिनों कुर्ता पाजामा का कपड़ा खरीदने वाले ग्राहक ही दुकान पर आ रहे हैं। कुर्ता पाजामा सिलने वाले टेलर मास्टरों की चांदी है। जबकि पैंट, शर्ट व अन्य कपड़ों की अधिकतर खरीदारी रेडिमेड हो रही है। एक दशक पहले तक माह-ए-रमजान की आमद होते ही कपड़े की दुकानों पर भारी भीड़ होने लगती थी। कपड़ों की खरीदारी के बाद लोग सीधे टेलरों की दुकानों का रुख करते थे। कुर्ता, पाजामा, पैंट, शर्ट,...