बांका, जुलाई 19 -- बौसी(बांका)। हरिनारायण सिंह/निज संवाददाता देश में जब-जब आदिवासी समाज ने नशा गरीबी और धर्मांतरण जैसी समस्याओं से जूझा है, तब-तब कुछ लोग उम्मीद की लौ बनकर उभरे हैं। उन्हीं में एक नाम है गुरुमाता रेखा हेंब्रम का। एक ऐसी आदिवासी महिला जिन्होंने अपना पूरा जीवन समाज सुधार के कार्यों में समर्पित कर दिया। बांका के आदिवासी महिला रेखा हेंब्रम देश के विभिन्न प्रांतो बिहार झारखंड उड़ीसा आसाम बंगाल में नशा मुक्ति को लेकर अलख जगा रही है। वे आज भी बांका जिले के मंदार में रहकर, एक तपस्विनी की भांति, हजारों वनवासियों के जीवन को दिशा देने का काम कर रही हैं। बचपन से रहा संघर्ष भरा जीवन रेखा हेंब्रम का जन्म 1948 में पश्चिम बंगाल के दक्षिणी दिनाजपुर जिले के शुकदेवपुर गांव में हुआ। बचपन से ही वे धार्मिक और सामाजिक विषयों में रुचि रखती थीं। म...