सीतामढ़ी, सितम्बर 21 -- सीतामढ़ी। रुन्नीसैदपुर विधानसभा की राजनीति जब भी याद की जाती है तो सबसे पहले महंत विवेकानंद गिरी का नाम जेहन में आता है। व्यक्तित्व ऐसा कि जनता ने दो बार निर्दलीय और तीन बार कांग्रेस की टिकट पर जीत दिलायी। 1952 में जब रुन्नीसैदपुर के विधानसभा का पहला चुनाव हुआ था, तब पूरे देश की तरह बिहार में भी कांग्रेस की लहर थी। उस दौर में स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े नेताओं की लोकप्रियता चरम पर थी। इसलिए जनता कांग्रेस को ही अपना भविष्य मान रही थी। ऐसे में बिहार विधानसभा के पहले चुनाव में रुन्नीसैदपुर विधानसभा सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप महंत विवेकानंद गिरी का नाम उभर कर सामने आया। यहां से कोई पार्टी नहीं, बल्कि साधु-संत जनता का प्रतिनिधि बना। महंत गिरी इस सीट से ऐसे किरदार रहे, जिनकी जीत-हार ही नहीं, बल्कि उनसे जुड़े किस्से ...