संतकबीरनगर, दिसम्बर 12 -- मेंहदावल, हिन्दुस्तान संवाद। मेंहदावल विकास खंड के ग्राम पंचायत भौंरा में चल रही नौ दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के सातवें दिन रुक्मिणी-कृष्ण विवाह का मनमोहक प्रसंग सुनाया गया। आचार्य बलराम दास जी महाराज ने कहा कि रुक्मिणी का प्रेम केवल लौकिक प्रेम नहीं, बल्कि आध्यात्मिक भक्ति का प्रतीक है। यह जीवात्मा और परमात्मा के पावन मिलन का दिव्य भाव प्रस्तुत करता है। उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत में वर्णित रुक्मिणी विवाह का प्रसंग भक्तों को अद्भुत छवि और अलौकिक आनंद का दर्शन कराता है। उन्होंने समझाया कि श्रीकृष्ण की महारास लीला सिद्ध योगियों की अनुभूति है, जिसमें काम का पराभव और शुद्ध प्रेम का उत्कर्ष निहित है। वासना और प्रेम का बाहरी स्वरूप भले समान दिखाई देता हो, लेकिन प्रेम का मूल भाव प्रियतम की प्रसन्नता में ही निहित है। क...