वाराणसी, अप्रैल 24 -- वाराणसी, मुख्य संवाददाता। राहुल सांकृत्यायन का लोक वैश्विक है। वह विश्व के अनेक देशों में रहे। वहां की धर्म-संस्कृति और परंपराओं के बारे में विस्तार से लिखा। खासतौर पर भारतीय लोक को उन्होंने अपने साहित्य में जिस प्रकार सजाया है वह बहुत से लेखकों के लिए ईर्ष्या का विषय है। ये बातें जेएनयू के प्रो. ओमप्रकाश सिंह ने कहीं। वह बुधवार को महापंडित राहुल सांकृत्यायन की 132वीं जयंती पर आयोजित संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। महापंडित राहुल सांकृत्यायन शोध एवं अध्ययन केंद्र की ओर से नागरी नाटक मंडली के न्यास हॉल में हुई संगोष्ठी में प्रो. सिंह ने कहा कि गहन अध्ययन से ही सांस्कृत्यायन के लोक दर्शन को समझा जा सकता है। विशिष्ट अतिथि सुरेंद्र प्रताप ने कहा कि राहुल सांकृत्यायन के कई रूप हैं। वह साहित्यकार होने के साथ इतिहासविद, समाज...