दरभंगा, मई 12 -- दरभंगा। देश की राष्ट्रीय चेतना के निर्माण में 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की बहुत बड़ी भूमिका है। सन 57 अंग्रेजों के लिए बिल्कुल आउट ऑफ सिलेबस प्रश्न था। उन्हें यह यकीन ही नहीं हुआ कि अलग-अलग धर्मों को मानने वाले सभी मिलकर औपनिवेशिक सत्ता के खिलाफ लड़ सकते हैं। तभी से अंग्रेजों ने भारत के लोगों को धार्मिक स्तर पर बांटना शुरू कर दिया। आइसा-आरवाईए एवं नागरिक मंच के संयुक्त तत्वावधान में रविवार को दरभंगा ऑडिटोरियम में आयोजित छात्र-युवा सम्मेलन में भाकपा माले के राष्ट्रीय महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने ये बातें कही। उन्होंने कहा कि इसी धार्मिक विभाजन का असर था कि 1947 आते-आते धर्म के आधार पर देश का विभाजन हुआ। भारतीय संविधान उस दौर में लिखा गया जब विभाजन हो चुका था, देशभर में दंगे हो रहे थे। वैसे समय में संविधान की प्रस्ताव...