संतकबीरनगर, मई 9 -- हिन्दुस्तान टीम, संतकबीरनगर। देश की एकता और अखंडता पर जब भी खतरा आता है तब स्वास्थ्य विभाग का रोल अहम हो जाता है। वैसे सामान्य दिनों में उनकी जरूरत केवल मरीजों के इलाज करने तक ही सीमित रहती है, लेकिन 1965 और 1971 के युद्ध में स्वास्थ्य विभाग के चिकित्सकों व पैरामेडिकल स्टाफ ने यह सिद्ध कर दिया कि उनके बिना युद्ध अधूरा है। वर्तमान हालात को देखते हुए चिकित्सक और पैरामेडिकल स्टाफ पूरी तरह से तैयार है। पहलगाम में हुई आतंकी घटना के बाद से ही चिकित्सक संवर्ग में उबाल है। पैरामेडिकल स्टाफ भी शत्रु से बदला लेने के लिए बेताब हैं। आपके अपने अखबार हिन्दुस्तान ने गुरुवार को जिले के चिकित्सकों और स्वास्थ्य कर्मियों के साथ संवाद किया तो सभी ने खुलकर अपनी बात रखी। सेना की कार्रवाई से सभी खुश हैं। चिकित्सकों ने एक सुर में कहा कि हर पर...
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