नई दिल्ली, सितम्बर 3 -- प्रभात कुमार नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की संविधान पीठ के समक्ष बुधवार को विपक्ष शासित कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश और पश्चिम बंगाल ने कहा कि कानून बनाने में राज्यपाल की कोई भूमिका नहीं है। इन राज्यों ने केंद्र सरकार के उस दलील का कड़ा विरोध किया, जिसमें कहा गया कि विधेयकों को मंजूरी देना या नहीं देना, राज्यपाल का विवेकाधिकार है। इतना ही नहीं, राज्यों ने राज्यपाल को नाम मात्र के प्रमुख बताते हुए कहा कि 'कानून बनाना विधायिका का काम है और राज्यपाल को इसमें दखल देने का कोई अधिकार नहीं है। देश के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) बीआर गवई की अगुवाई वाली संविधान पीठ के समक्ष विपक्ष शासित राज्यों में से एक कर्नाटक की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल सुब्रमण्यम ने कहा कि 'राज्यपाल के पास कार्यकारी शक्ति तो है, लेकिन विधायी शक्ति नही...