लखनऊ, जून 11 -- बिजली कंपनियों में सुधार के लिए रकम खर्च करने के बाद बिजली कंपनियों के निजीकरण की प्रक्रिया का मामला राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री कार्यालय के बाद अब राज्य विद्युत नियामक आयोग की चौखट पहुंच गया है। बुधवार को राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने नियामक आयोग में लोक महत्व का प्रस्ताव दाखिल करते हुए सवाल किया है कि जब आयोग ने ही बिजली व्यवस्था में सुधार के लिए 44,094 करोड़ रुपये खर्च करने को मंजूरी दी है तो वह एक और सुधारात्मक प्रक्रिया के तहत बिजली कंपनियां बेचने के मामले में कैसे सरकार को मश्विरा दे सकता है? उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने बुधवार को आयोग में दाखिल किए गए प्रस्ताव में कहा है कि बिजली कंपनियों में सुधारात्मक काम करवाने के लिए मंजूरी देते समय आयोग ने हर छह महीने में प्रगति की रिपोर्ट उपलब्ध करवाने के नि...
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