मुजफ्फरपुर, दिसम्बर 29 -- मुशहरी। नरसिंहपुर गांव में आयोजित श्रीराम कथा के आठवें दिन कथावाचक पंडित रमेशचंद्र झा जी ने कहा कि रावण स्वयं त्रिलोक के विजेता थे। उनके सभी परिजन भाई, पुत्र, बंधु बांधवों की शक्ति का वर्णन असंभव था, ऐसे में जब वह राम नाम से विमुख हुआ तो उसका अंत श्रीराम के हाथों हुआ। उनके मृत शरीर के पास मंदोदरी पहुंचकर कहा कि हे रावण तुम्हारी प्रभुता जगत में विदित और प्रसिद्ध है। मगर श्रीराम से विमुख होने के कारण ही तुम्हारी यह दुर्दशा हुई। अतः श्रीराम के चरणों में मनुष्य अगर खुद को समर्पित कर दे तो उसके सभी पाप कट जाएंगे। इस मौके पर सैकड़ों की संख्या में श्रोता मौजूद थे।

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