सीतामढ़ी, मार्च 8 -- सुरसण्ड। प्रखंड के हरारी दुलारपुर में आयोजित नौ दिवसीय श्रीरामकथा के दौरान रामविवाह प्रसंग पर विस्तार से चर्चा की गयी। व्यासपीठाधीश सह पूर्व कॉलेज प्राध्यापक डॉ. रमेशाचार्य महाराज ने श्रद्धालूओं को धनुष-यज्ञ एवं सीता राम विवाह प्रसंग सुनाया। उन्होंने बताया कि विवाह दो आत्माओं का मिलन है। विश्वामित्र मुनि ने रामभद्र से कहा-उठहु राम भंजहु भव चापा,मेटहु तात जनकसंग परितापा। गुरु का आदेश पाकर रामचन्द्र ने देखते-देखते धनुष तोड़ डालते हैं। डा.रमेशाचार्य ने बताया कि धनुष टूट जाने के बाद सीता जी ने राम जी को विजय जयमाला पहनाकर सुशोभित किया। पुन:वैदिक रीति-रिवाज से राम-सीता का विवाह सम्पन्न हुआ। महाराज जनक बहुत सारा दहेज की अनमोल वस्तु देते हुए सीता की विदाई करते हैं। विवाह दो आत्माओं का सहृदय मिलन है। प्रेम व स्वेच्छा से दिया ...