वाराणसी, सितम्बर 11 -- रामनगर (बनारस), संवाददाता। जनकपुर में खुद प्रभु के चरण पड़े थे। हर कोई उनका रंगरूप देख के मंत्रमुग्ध हो गया। स्त्रियां तो यह मान ही बैठी कि जानकी के योग्य यही वर है। यहीं नहीं वो तो यह कहने से भी नहीं चूकीं कि राजा जनक को धनुष यज्ञ की प्रतिज्ञा तोड़ कर सीता का विवाह इन्हीं से कर देना चाहिए। रामलीला के चौथे दिन बुधवार को जनकपुर में ऐसे ही भावपूर्ण प्रसंग साकार हुए। मुनि विश्वामित्र राम और लक्ष्मण के मन की बात जानने के बाद उनसे संकोच छोड़कर अपने मन की बात कहने को कहते हैं। जिस पर राम कहते हैं कि लक्ष्मण जनकपुर देखना चाहते हैं, लेकिन संकोचवश आपसे कुछ कह नहीं पा रहे हैं। आपकी आज्ञा हो तो मैं इनको जल्दी से नगर दिखा लाऊं। राम की बात सुनकर मुनि आज्ञा देते हैं। दोनों भाई जनकपुर देखने निकले तो उनको देखकर वहां की स्त्रियां उन प...