औरैया, दिसम्बर 21 -- बिधूना, संवाददाता। प्राचीन सिद्धपीठ श्री देवघट बाबा मंदिर में चल रही नौदिवसीय श्रीराम कथा के दौरान रविवार को आचार्य अंकुर शुक्ला ने भगवान श्रीराम के वनगमन प्रसंग का भावपूर्ण एवं प्रेरक वर्णन किया। उन्होंने कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का जीवन त्याग, कर्तव्य और धर्म की जीवंत मिसाल है, जिसमें माताओं की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही है। आचार्य शुक्ला ने कहा कि भगवान श्रीराम को धर्मस्वरूप और मर्यादा पुरुषोत्तम बनाने में माता कौशल्या, माता कैकेयी और माता सुमित्रा का विशेष योगदान रहा। माता कैकेयी द्वारा राजा दशरथ से वरदान मांगने के बाद श्रीराम का वनवास केवल एक पारिवारिक निर्णय नहीं, बल्कि धर्म और आज्ञापालन की सर्वोच्च परीक्षा थी। वनगमन के माध्यम से भगवान श्रीराम ने जीवन के सुख-दु:ख को अनुभव कर कर्तव्य और मर्यादा क...