धनबाद, फरवरी 24 -- चिरकुंडा/ पंचेत, हिटी। तालडांगा आवासीय कॉलोनी में आयोजित श्री श्री 108 हरिहर एवं मां दुर्गा प्राण प्रतिष्ठा महायज्ञ में कथावाचक पूज्य दिव्या देवी (वृंदावन) ने श्रीराम कथा के दूसरे दिन सती चरित्र का वर्णन किया। कहा कि सती को संशय हुआ। जिस कारण से भगवान शंकर ने सती का त्याग कर दिया। पिता दक्ष के यज्ञ में आकर सती जी ने अपनी देह का त्याग कर दिया। दूसरे जन्म में सती हिमाचल की पुत्री पार्वती जी के रुप में प्रकट हुई और नारद जी के वचनों को मान करके भगवान शंकर को प्राप्त करने के लिए कठिन तपस्या किया। जिससे प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने पार्वती जी को आशीर्वाद दिया कि भगवान शंकर उन्हें प्रतिरुप में प्राप्त होंगे। उन्होंने कहा कि भगवान शंकर और मैया पार्वती जी के विवाह का विस्तार से वर्णन किया। शिव पार्वती के चरित्र से यह ज्ञात होता है...
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