पीलीभीत, सितम्बर 18 -- पीलीभीत। परमठ मंदिर पर सीता जन्म, विश्वामित्र आगमन, ताड़का वध, सुबाहु वध लीला का सजीव मनमोहक मंचन किया गया। जनकपुरी में एक बार भीषण अकाल पड़ा। सारे मिथिला वासी त्राहि त्राहि कर उठे। यह देख राजा जनक अत्यंत विचलित एवं दुखी हो उठे। उन्होंने अपने कुलगुरु शतानंद मुनि से इसका उपाय पूछा। मुनि बोले हे राजन आप पत्नी सहित भूमि पर हल से जुताई करें।यही सच्ची देवराज इंद्र को मनाने का उपाय है। राजा ने अपनी पत्नी सहित हल से जब भूमि को जोता। तभी उनके हल की सीत (किनारी) एक कलश से टकराई। जिसमें से एक कन्या प्रकट हुई जिसका नाम उन्होंने सीता रखा। देवराज इंद्र ने प्रसन्न हो खूब वर्षा की जिससे प्रजा प्रसन्न हो उठी। सभी भक्तगण सीता मैया की जय जयकार करने लगे। इधर अयोध्या में एक दिन कौशिक नंदन मुनि विश्वामित्र पधारे। महाराज दशरथ ने उनका आदर...
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