धनबाद, मई 20 -- लोयाबाद, प्रतिनिधि। लोयाबाद में श्रीश्री संकटमोचन प्राण प्रतिष्ठा के महोत्सव के अंतिम दिन कथा के दौरान सोमवार को अयोध्या से पधारे श्री स्वामी प्रद्युम्न प्रियाचार्य प्रभाकर ने कहा कि "रासलीला काम का नहीं, काम-विजय की लीला है। महाराज ने रासलीला के गूढ़ भावों को समझाते हुए कहा कि रासलीला को मात्र सांसारिक दृष्टि से नहीं देखना चाहिए। यह काम की नहीं, अपितु 'काम-विजय लीला है। भगवान श्रीकृष्ण ने सम्पूर्ण अशक्ति और विकारों का नाश कर केवल पवित्र प्रेम और आत्म समर्पण को स्वीकार किया। गोपियों के समर्पण को सर्वोच्च उदाहरण देकर बताया कि भगवान ने गोपियों को यही उपदेश दिया कि प्रत्येक स्त्री को अपने पति में ही परमेश्वर का स्वरूप देखना चाहिए। कथा के दौरान जरासंघ वध और रुक्मिणी विवाह के प्रसंगों सहित अंत में सुदामा चरित्र का वर्णन करने लग...