इटावा औरैया, सितम्बर 25 -- इटावा, संवाददाता। यहां मैदानी रामलीला में देर रात भरत बड़े भाई बनवासी राम को मनाने के लिए चित्रकूट पहुंचे और उनसे वापस अयोध्या चलकर राज पाट संभालने की विनती की । उन्हें पिता राजा दशरथ की मृत्यु का समाचार सुनाया। राम पिता की आज्ञा को शिरोधार्य बताते हुए वहां से दंडक वन की ओर रवाना हो गए। भाई भरत से पिता की मृत्यु का समाचार सुनकर राम काफी दुखी हुए। इससे पूर्व उन्होंने भरत को गले लगाया और अयोध्या में सब की कुशल क्षेम पूछी। भरत, भाभी सीता और भाई लक्ष्मण से भी मिले। राम ने भरत को समझाया कि पिता के आदेश से वे 14 वर्ष के वनवास की अवधि पूरा करने के पश्चात ही घर वापस लौटेंगे। पिता की आज्ञा का आदेश मानना पुत्र का परम कर्तव्य है। मैं रघुकुल की रीति का ही पालन कर रहा हूं मैंने पिता को जो वचन दिया है उसे पर अटल रहूंगा। भरत न...