अयोध्या। संवाददाता, अप्रैल 25 -- हनुमानगढ़ी के इतिहास में पहली बार कोई गद्दीनशीन महंत 52 बीघे की परिधि से बाहर निकलेगा। गद्दी नशीन महंत प्रेम दास की ओर से रामलला के दर्शन की सद्इच्छा के आगे आखिर कार निर्वाणी अखाड़ा के पंच पसीज गये और अखाड़े की बैठक कर सर्वसम्मति से दर्शन की अनुमति दे दी है। हनुमानगढ़ी की नियमावली की शर्तों के मुताबिक गद्दी नशीन पद पर प्रतिष्ठित महंत के लिए यह बाध्यता है कि वह परिसर जिसकी परिधि 52 बीघे निर्धारित है, से बाहर आजीवन नहीं निकल सकते हैं। हनुमानगढ़ी की नियमावली की इस शर्त की मर्यादा का पालन सिविल कोर्ट भी करता है। किसी सिविल मुकदमे में गद्दी नशीन के बजाय अखाड़े के मुख्तार ही पैरोकार के रूप में अदालत में हाजिर होते हैं। यदि जरूरत पड़ी तो कोर्ट स्वयं हनुमानगढ़ी आकर गद्दी नशीन का बयान दर्ज करती रही है। यह परम्परा 1...