प्रभात कुमार, सितम्बर 12 -- सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों के संविधान पीठ ने गुरुवार को कहा कि अदालत राज्यपाल को विधानसभा से पारित विधेयक पर निर्णय लेने का आदेश दे सकती है, लेकिन यह आदेश नहीं दे सकती कि निर्णय कैसे लेना है। संविधान पीठ ने यह टिप्पणी तब की, जब केंद्र की ओर से कहा गया कि हर विधेयक विशिष्ट तथ्य और परिस्थितियों पर आधारित होता है, इसलिए अदालत हर मामले के लिए समान समय सीमा तय नहीं कर सकती। मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई की अगुवाई वाली पांच जजों की संविधान पीठ के समक्ष यह भी कहा कि शीर्ष कोर्ट राज्यपाल द्वारा विधायी प्रक्रिया के तहत किए किसी कार्य के लिए परमादेश जारी नहीं कर सकता। इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि अदालत राज्यपाल को संविधान के अनुच्छेद-200 के तहत किसी विशेष तरीके से निर्णय लेने को नहीं कह सकती, लेकिन अदालत राज्यपाल को निर्णय...