बाड़मेर, अक्टूबर 4 -- बाड़मेर के सरकारी अस्पताल से निकली यह कहानी किसी भी माँ-बाप की रूह कंपा सकती है। चार साल की मासूम जसोदा, जो अभी ठीक से दुनिया को समझ भी नहीं पाई थी, दो दिनों तक बुखार से जूझती रही और आखिरकार इलाज के दौरान दम तोड़ गई। सवाल यह है कि क्या यह मौत बीमारी से हुई या सिस्टम की लापरवाही से? अरविंद कुमार और उनकी पत्नी रूखी देवी अपनी बेटी जसोदा के साथ दो दिन से परेशान थे। मंगलवार से बच्ची को तेज बुखार था। गुरुवार को वे उसे पास के मिठड़ाऊ पीएचसी (प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र) लेकर पहुंचे। डॉक्टर ने दवा दी, लेकिन सुधार नहीं हुआ। अगले दिन दोबारा वे उसे लेकर पहुंचे। यही वह पल था, जब परिवार ने अपनी बेटी को बचाने की आखिरी उम्मीद डॉक्टर के हाथों में सौंपी। पिता का आरोप है कि डॉक्टर रमेश पुंजानी और नर्सिंगकर्मी शांति देनी ने इंजेक्शन और द...