जयपुर, अक्टूबर 7 -- राजस्थान की राजनीति में सोमवार रात एक ऐसा दीपक बुझ गया, जिसकी रोशनी ने दशकों तक ईमानदारी, सादगी और जनसेवा का रास्ता रोशन किया। पूर्व मंत्री भरत सिंह कुंदनपुर-नाम ही काफी था। कुर्सी पर बैठकर नहीं, ज़मीन पर उतरकर काम करने वाले इस नेता ने सोमवार रात करीब 10 बजे जयपुर के एसएमएस अस्पताल में अंतिम सांस ली। वे लंबे समय से बीमार थे। कोटा मेडिकल कॉलेज से रेफर होकर जयपुर आए, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंज़ूर था। 15 अगस्त 1950 को हाड़ौती की मिट्टी में जन्मे भरत सिंह ने कभी राजनीति को सत्ता का खेल नहीं, सेवा का अवसर माना। गांव के सरपंच से लेकर राजस्थान सरकार के मंत्री तक का सफर उन्होंने बिना समझौते और बिना चमक-दमक के तय किया। उनके साथ काम करने वाले कहते हैं-"भरत सिंह वो नेता थे, जो खुद गांव की गलियों में गड्ढे भरते देखे जाते थे, और...
Click here to read full article from source
To read the full article or to get the complete feed from this publication, please
Contact Us.