बगहा, मार्च 17 -- दूसरे के आशियाने को बनाने वाले बेतिया शहर के1500 से अधिक राजमि्त्रिरयों के पास खुद रहने के लिए पक्का घर नहीं है। ये राजमिस्त्री आज भी किराये के मकान में रहने को मजबूर हैं। कड़ाके की ठंड और झुलसा देने वाली गर्मी में ये खुले में काम करते हैं। इस कारण वे बीमारी की चपेट में आ जाते हैं। बारिश के दिनों में काम की कमी से परिवार का भरण पोषण करना कठिन हो जाता है। गरीब तबके के इन लोगों के बच्चों के लिए अच्छी शिक्षा पाना भी एक सपना है। सरकारी स्तर पर मिलने वाली स्वास्थ्य व मेडिकल की सुविधाएं भी इनके पास नहीं हैं। हर काम के लिए बिचौलिया के माध्यम से काम कराना पड़ता है। मूरत साह, दिलराम कुमार, दिनेश पटेल आदि राजमिस्त्री कहते हैं कि काम करने के दौरान इनके लिए सुरक्षा का इंतजाम नहीं हैं। कई बार ऐसी स्थिति बनती है कि बांस के चचरी पर चढ़क...
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