पटना, मार्च 31 -- स्वास्थ्य मंत्री मंगल पाण्डेय ने कहा है कि राजद-कांग्रेस के शासनकाल (1985-2005) के 20 वर्षों में उत्तर बिहार जो कभी चीनी का कटोरा कहलाता था, यहां की आधा दर्जन चीनी मिलें एक-एक कर बंद हो गईं। जंगलराज के भय और दहशत से मिलरों व अन्य उद्योगपतियों का बड़ी संख्या में बिहार से पलायन हुआ। सोमवार को जारी बयान में मंत्री ने कहा कि एक जमाने में उत्तर बिहार में 16 चीनी मिलें चलती थीं। उनमें से 7 लालू-राबड़ी के राज में बंद हो चुकी थीं। मिलें बंद होने का असर न सिर्फ रोजगार पर पड़ा, बल्कि लाखों किसान नकदी फसल की खेती से अलग हो गए। पश्चिम चंपारण में नरकटियागंज, लौरिया, मझौलिया, चनपटिया, बगहा और रामनगर में कुल छह चीनी मिलें थीं। चनपटिया चीनी मिल वर्ष 1994 से बंद है। मधुबनी की लोहट चीनी मिल भी जंगलराज के दहशत के दौर में 1996 में जो बंद हुई, ...