रांची, मार्च 4 -- रांची, वरीय संवाददाता। रांची महाधर्मप्रांत के आर्च बिशप विंसेंट आइंद ने पांच मार्च को होने वाले राख बुधवार और चालीसाकाल के महत्व पर अपना संदेश जारी किया। उन्होंने कहा कि हम ख्रीस्तीय के लिए हर वर्ष राख बुध और चालीसाकाल आता है। ये दोनों हमारे लिए महज परंपरा न रहे, बल्कि आत्मिक जीवन के लिए प्रभावकारी सिद्ध हो। आर्च बिशप ने राख के चिह्न से अंकित होने के अर्थ के बारे कहा कि बाइबल और परंपरा में राख हमारे पानी होने और पछतावा करने की जरूरत की ओर संकेत करती है। उपवास हमें ईश्वर के करीब ले जाने के लिए खींचता है। इसके अलावा उपवास, प्रार्थना और दान-पुण्य तीनों चालीसाकाल के स्तंभ हैं। प्रार्थना ईश्वर के साथ हमारे संवाद करने में और उसकी वाणी के प्रति हमें अधिक जागरूक रहने में मदद देती हैं। जबकि दान-पुण्य व त्याग भी हमारे स्वार्थ पर ज...
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