रविन्द्र थलवाल। उत्तरकाशी, अगस्त 9 -- जहां बाकी देश में बहनें आज भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधेंगी, वहीं उत्तरकाशी की गंगा घाटी में इस बार रक्षाबंधन केवल इंतजार बनकर रह गया है, उस भाई के लौट आने का, जो खीरगंगा की तबाही में कहीं खो गया।धराली में नहीं है त्योहार की रौनक धराली की गलियों में इस बार न राखी की रौनक है और न ही मिठाइयों की महक। धराली के मुकेश पंवार, उनकी पत्नी विजेता और तीन साल का बेटा आपदा के बाद से लापता है। मुकेश की बहनें रजनी और वंदना, जो हर साल भाई के लिए मिठाई और राखी लेकर धराली आती थीं, इस बार सिर्फ प्रार्थना के साथ बैठी हैं। इसी गांव के आकाश पंवार अब इस दुनिया में नहीं हैं। धराली में आपदा के बाद से लापता आकाश का शव अब मिल चुका है। उनकी बहन प्राची हर साल राखी पर आकाश की कलाई पर राखी बांधती थी, लेकिन इस बार उसकी आंखों में...