बेगुसराय, मार्च 12 -- खोदावंदपुर, निज प्रतिनिधि। पाक माह रमज़ानुलमुबारक का पूरा महीना ही मोमिनों के लिए अज़मत, रहमत और बरकतों का महीना होता है लेकिन अल्लाह ने इस पाक महीने को तीन भागों में बांट दिया है। रमज़ान के दूसरे अशरे को तौबा का अशरा कहा जाता है। रमज़ान का पहला अशरा (प्रथम दस दिन) बीत गया। रहमतों व बरकतों के बाद मगफेरत वाला दूसरा अशरा शुरू हो गया है। रमज़ानुलमुबारक की बरकतों से फैजयाब व गुनाहों से माफी पाने के लिए इस अशरे में खुशू व खोजू तथा एखलास के साथ खुदा की इबादत करें। यह बातें जामा मस्जिद नुरूल्लाहपुर के इमाम मौलाना मोहम्मद मोईनुद्दीन साहब ने रमज़ानुलमुबारक के मौके पर बुधवार को कही। उन्होंने कहा कि रमज़ान का रोज़ा रोज़ेदार की रूह को पाकीजगी अता करता है। जब इंसान रोजा की हालत में अपने नफ्स को काबू में कर खुदा के अहकाम के ताबे ह...