सीतापुर, मार्च 18 -- संवाददाता, सीतापुर। रमजान का दूसरा अशरा मुकम्मल होने वाला है। अब रोजेदार शब-ए-कद्र का इंतजार कर रहे हैं। जो तीसरे अशरे में आएगी। शब-ए-कद्र की रमजान में काफी अहमियत है। इस रात रोजेदार रातभर जागकर अल्लाह की इबादत करते हैं। कुरआन पढ़ते हैं। घरों में भी महिलाएं भी इबादत में मशगूल रहती हैं। वैसे तो पूरे रमजान भर इबादत का 70 गुना सवाब मिलता है, लेकिन शब-ए-कद्र में की गई इबादत का विशेष महत्व है। हाफिज सलमान ने बताया कि रमजान में पांच रातों 21, 23, 25, 27 व 29वें रोजे में से कोई भी रात शब-ए-कद्र की हो सकती है। बंदों को चाहिए कि इन रातों में अल्लाह की कसरत से इबादत करें और कुरआन की तिलावत करें। ये अशरा जहन्नम से निजात का है। ऐसे में जितना ज्यादा हो सके, उतनी इबादत करें। 20वें रोजे की रात इशा की नमाज के बाद रोजेदार मस्जिदों में ...
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