सीवान, मार्च 19 -- हसनपुरा, एक संवाददाता। इस बार रमजान उल मुबारक का दूसरा असरा चल रहा है। मंगलवार को रोजेदारों ने 17 वां रोजा रख खुदा की इबादत की। वहीं हाफ़िज़ ग़ुलाम रज़ा हैदरी ने बताया कि रमज़ानुल मुबारक अल्लाह तआला की तरफ से अता किया गया है। जो कि एक ऐसा बाबरकत महीना है जो रुहानी तरबियत के साथ साथ सब्र और इस्तिक़ामत की अमली मश्क़ भी फराहम करता है। इस महीने में रोज़ेदार को खाने, पीने और दूसरी ख़्वाहिशात से रोक दिया जाता है। ताकि वह सब्र की आदत अपना सके और अपनी रुह को मजबूत कर सके। रोज़े का मतलब महज़ भूख और प्यास बर्दाश्त करना नहीं, बल्कि झूठ, ग़ीबत, चुग़ली, बेहयाई, बदकलामी, ग़ुस्सा और दूसरी बुरी बातों से अपने आप को रोकते हुए अल्लाह की रज़ा के मुताबिक इबादत में मशगूल होना होता है। रोज़ा इंसान के अंदर क़ुव्वत-ए-बर्दाश्त पैदा करता है और उस...
Click here to read full article from source
To read the full article or to get the complete feed from this publication, please
Contact Us.