पूर्णिया, मार्च 19 -- बैसा। मुस्लिम समाज के सबसे पवित्र कहे जाने वाले रमजान महीने का मंगलवार को क्षेत्र के लोगों ने शिद्दत के साथ सत्रहवां रोजा पूरा किया। जमीयत उलेमा हिन्द के बैसा सदर हाजी नांहीद गनी बताते हैं कि इस पाक महीने के दस रोजे में पवित्र माह रमजान उल मुबारक महीने का पहला अशरा (रहमत का अशरा) मुकम्मल हो गया है। वहीं ग्यारह वें रोजे से मगरिब की नमाज के बाद से रमजान का दूसरे अशरे (मगफिरत का अशरा) का आगाज हो जाता है। इस्लाम के मुताबिक, पूरे रमजान को तीन हिस्सों में बांटा गया है, जो पहला, दूसरा और तीसरा अशरा कहलाता है। अशरा अरबी का 10 नंबर कहलाता है। इस तरह रमजान के पहले 10 दिन (1-10) में पहला अशरा, दूसरे 10 दिन (11-20) में दूसरा अशरा और तीसरे दिन (21-30) में तीसरा अशरा बंटा होता है। रोजेदार सह समाजसेवी ज़ाहिद आलम बताते हैं कि रमजान ...
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