संभल, मार्च 28 -- मुफ्ती मोहम्मद लुकमान कासमी ने बताया कि मुकद्दस रमजान का महीना बेशुमार बरकतों वाला है। इस महीने में रोजेदारों पर अल्लाह की बेशुमार रहमतें बरसती हैं। सारे गुनाह माफ हो जाते हैं। इस महीने का तीसरा अशरा 20वें रोजे की मगरिब से शुरू होता है, जो ईद का चांद दिखाई देने तक जारी रहता है। इसमें इबादत करने से जहन्नुम से आजादी मिलती है। उन्होंने कहा कि रमजान-पाक को तीन अशरों में बांटा गया है। दूसरा अशरा मुकम्मल हो रहा है। तीसरे अशरे की शुरूआत के साथ ही मस्जिदों और घरों में एतकाफ का सिलसिला शुरू हो गया। रमजान में 20वें रोजे के मगरिब से शुरू होकर चांद रात तक मस्जिद में रहकर अल्लाह की इबादत करने को एतकाफ कहा जाता है। तीसरे अशरे की ताक रातों में शब-ए-कद्र भी आएगी। आखिरी अशरे में 21वीं, 23वीं, 25वीं, 27वीं और 29वीं रमजान की ऐसी रातें हैं,...