नवादा, मार्च 24 -- नवादा, हिन्दुस्तान संवाददाता। रमजान का तीसरा अशरा शुरू हो चुका है। इस क्रम में इबादत से जन्नत नसीब होता है। इस मान्यता के कारण रोजेदार गुनाहों की माफी के लिए अल्लाह-तआला की इबादत में मशगूल हैं। इस अशरा में इबादत करने से लोगों के गुनाह माफ हो जाते हैं। अल्लाह भी इबादत करने वालों के लिए जन्नत के द्वार खोल देते हैं। इसी अशरे में एतिकाफ भी किया जाता है, जो गुनाहों के माफ होने का एक बड़ा जरिया है। रमजान में 20वें रोजे के मगरिब से शुरू होकर चांद की रात तक मस्जिद में रहकर अल्लाह की इबादत करने को एतिकाफ कहते हैं। नेशनल इस्लामिक फेस्टिवल फेडरेशन ऑफ इंडिया के प्रवक्ता मौलाना अरशद अफजली ने कहा कि जिस व्यक्ति ने दस दिनों का एतिकाफ किया, उसने दो हज और दो उमरे के बराबर सवाब हासिल किया। हदीस शरीफ में है कि जिस बस्ती की मस्जिद में कोई ...