मुरादाबाद, मार्च 21 -- शुक्रवार को जुमे का रमजानुल मुबारक का बीसवां रोजा रहा। इसके साथ दूसरा मगफिरत का अशरा मुकम्मल हो गया और मगरिब की नमाज के बाद तीसरा और अंतिम 'जहन्नुम से निजात का अशरा भी शुरू हो गया। इस तीसरे अशरे में लोग अल्लाह ताला की इबादत कर उन्हें राजी कर जहन्नुम से निजात मांगते हैं। हाफिज वली उल्लाह बताते हैं कि इस अंतिम अशरे में अल्लाह अपने बंदों से कहता है कि मुझ से जहन्नुम से आजादी मांग लो। वह कहते हैं जन्नहुम गुनाहगारों के लिए है और उन्हें उसी में रहना है। जब अल्लाह का बंदा गुनाहों से तौबा कर लेता है और जहन्नुम से आजादी के लिए दुआ करता है तब रब अपने फरिश्तों को गवाह बना लेता है। वह कहता है कल कयामत का दिन है। तुम इस बंदे की गवाही देना कि इसने जहन्नुम से निजात की दुआ मांगी है। वह बताते हैं कि इस अशरें में पांच ताक रातें दी गई...