कानपुर, जून 4 -- कानपुर। किसी की मुस्कुराहटों पे हो निसार, किसी का दर्द मिल सके तो ले उधार, जीना इसी का नाम है। राज कपूर की अनाड़ी फिल्म का ये गीत आज भी ज़िंदगी का अच्छा अनुभव रखने वालों के दिलों के करीब है ,क्योंकि ज़िंदगी कुछ इस तरह ही जी जाती है। यह बात बुधवार को भारतेन्दु नाट्य अकादमी लखनऊ व अनुकृति रंगमंडल के संयुक्त प्रयास से आयोजित रंग पाठशाला के समापन दिवस पर डॉ. ओमेंद्र कुमार ने कही। शुरुआत आवाज की एक्सरसाइज से हुई। फिर कैरेक्टर को समझने का तरीका बताया गया। कृष्णा सक्सेना ने स्टेज पर मूवमेंट की जानकारी दी। वंदना तिवारी ने कहा कि वर्कशॉप में थिएटर की पूरी यात्रा को समझ सकी। यहां शांभवी और जिज्ञासा शुक्ला, निशा वर्मा, राम गोपाल, सम्राट यादव, आकाश शर्मा मौजूद रहे।

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