मुजफ्फरपुर, मार्च 28 -- मुजफ्फरपुर, प्रमुख संवाददाता। आज सिनेमा देखने की प्रवृत्ति कम गई है जबकि रंगमंच की उपयोगिता और सार्थकता बहुत हद तक बची हुई है। इसका सीधा प्रभाव दर्शकों पर पड़ता है। बिहार की सांस्कृतिक राजधानी मुजफ्फरपुर रंगमंच की दृष्टि से संपन्न होते हुए भी प्रेक्षागृह के अभाव में यहां के कलाकारों के द्वारा लगातार नाट्य प्रस्तुतियां नहीं हो पाती हैं। जनप्रतिनिधि, प्रशासन और सरकार से हमारी मांग है कि इस दिशा में ठोस कदम उठाया जाए। ये बातें शुक्रवार को विश्व रंगमंच दिवस के अवसर पर आयोजित संगोष्ठी में डॉ. संजय पंकज ने कही। आमगोला स्थित शुभानंदी के सभागार में नवसंचेतन तथा निर्माण रंगमंच हाजीपुर के संयुक्त तत्वावधान में रंगमंच दशा और दिशा पर विमर्श के साथ ही दो एकल नाट्य प्रस्तुतियां हुईं। डॉ. पंकज ने कहा कि संस्कृति मनुष्य, समाज, जनप...
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