नई दिल्ली, मार्च 1 -- केरल हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि आपराधिक मामलों, खासकर यौन अपराधों में यह मान लेना कि शिकायतकर्ता का हर बयान सत्य होता है, गलत है। कोर्ट ने यह भी कहा कि वर्तमान समय में ऐसे मामलों में निर्दोष लोगों को फंसाने की प्रवृत्ति बढ़ गई है। न्यायमूर्ति पीवी कुन्हिकृष्णन ने एक महिला कर्मचारी द्वारा यौन उत्पीड़न के आरोपों का सामना कर रहे एक व्यक्ति को अग्रिम जमानत देने के दौरान यह बातें कही हैं। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में पुलिस ने आरोपी की उस शिकायत की जांच नहीं की जिसमें उसने कहा था कि नौकरी से निकाले जाने के बाद महिला ने उसे गाली दी और धमकियां दीं कोर्ट ने कहा, "एक आपराधिक मामले की जांच का मतलब केवल शिकायतकर्ता के पक्ष की जांच नहीं है, बल्कि आरोपी के मामले की भी जांच की जानी चाहिए। केवल इसलिए कि शिकायतकर्ता...