रांची, अगस्त 13 -- रांची, वरीय संवाददाता। क्रियायोग के वैज्ञानिक मार्ग का अनुसरण करके किसी भी युग और किसी भी राष्ट्रीयता के साथ ईश्वर के साथ एकात्मता की दिशा में अग्रसर हो सकते हैं। यह किसी भी पृष्ठभूमि के सत्यान्वेषी आध्यात्मिक मुक्ति और अंततः ईश्वर प्राप्ति का सबसे सटीक साधन है। यही, जन्माष्टमी की सच्ची महत्ता है। जन्माष्टमी हमें अत्यंत दृढ़ता से यह स्मरण कराती है कि मन में प्रभु के साथ एकाकार होने की उत्कट अभिलाषा हो और अपने जीवन की यात्रा को इसी लक्ष्य की ओर ले जाने का प्रयास करें। योगदा संत्संग सोसाइटी के विवेक अत्रे बताते हैं कि जहां-जहां श्रीकृष्ण हैं। वहां विजय है। ये अमर शब्द, भारत में सदियों से पीढ़ी-दर-पीढ़ी चले आ रहे हैं। अपनी जीवन-यात्रा के दौरान, मानव के मार्ग में निरंतर आने वाली सभी परीक्षाओं और कठिनाइयों के बावजूद, अपने मन...