गोण्डा। एसएन शर्मा, मई 26 -- यूं कहें कि चोट बेजुबानों को लगती तो दर्द मुन्ना साहू को होता है, अतिश्योक्ति नहीं होगी। वो बेजुबानों की संवेदनाओं, प्रेम और लगाव के सशक्त हस्ताक्षर हैं। कही पर बेजुबान हादसे का शिकार हो जाएं या गंभीर चोटें लगने से विह्वल होकर छटपटा रहे हों, मुन्ना साहू देखभाल के लिए पहुंच जाते हैं। भले ही कई जिम्मेदार सरकारी व स्वयंसेवी संस्थाएं इससे मुंह मोड़ सकती है लेकिन शहर के मोहल्ला गोलागंज निवासी मुन्ना साहू को इसकी भनक लगते ही तत्परता से न सिर्फ मौके पर पहुंचते हैं बल्कि दवा आदि करने की पूरी जुगत करके राहत दिलाने के प्रयास में जुट जाते हैं। लगता है वह बेजुबान उनके परिवार का कोई सदस्य हैं। मृत हो जाने पर उसका विधि पूर्वक संस्कार व मिट्टी भी करते हैं।।जो लोगों को बेजुबानों के प्रति हिंसा नहीं प्रेम और सद्भव्यहार रखने की...