दरभंगा, मई 30 -- कोरोना के बाद यूनानी चिकित्सा पद्धति से इलाज कराने वालों की संख्या तेजी से बढ़ी है। इसके बावजूद यूनानी डॉक्टर खुद को उपेक्षा का शिकार मानते हैं। डॉक्टरों का दावा है कि यूनानी दवाओं का कोई साइड इफेक्ट नहीं होता। इलाज भी सस्ता होता है, फिर भी इसके प्रोत्साहन की नीतियां नहीं बन रही है। डॉक्टरों ने कहा कि बिहार में सिर्फ एक सरकारी यूनानी कॉलेज और अस्पताल है। अगर सरकार यूनानी कॉलेज और अस्पतालों की संख्या बढ़ाए तो न केवल लोगों को सस्ता और असरदार इलाज मिलेगा, बल्कि निजी कॉलेजों से पढ़े डॉक्टरों को भी सेवा का मौका मिलेगा। डॉक्टरों ने कहा कि यूनानी डॉक्टरों को भी वही सुविधाएं मिलनी चाहिए जो एलोपैथिक डॉक्टरों को मिलती हैं। नानी चिकित्सा पद्धति से इलाज कराने वालों की संख्या तेजी से बढ़ी है। खासकर कोरोना महामारी के बाद लोगों का रुझान...