गोरखपुर, जून 2 -- गोरखपुर, निज संवाददाता। युवा कवियों की रचनाओं में समय की पीड़ा, द्वंद्व और भावनाओं का सूक्ष्म चित्रण होता है, जो कभी-कभी विस्तृत गद्य से अधिक प्रभावी होता है। यह बातें वर्धा हिंदी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. चित्तरंजन मिश्र ने अभिव्यक्ति संस्था की काव्य-विचार गोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में कहीं। गोष्ठी की अध्यक्षता नर्वदेश्वर सिंह मास्टर साहब और संचालन शशिविन्दु नारायण मिश्र ने किया। चिलमापुर स्थित आवास पर आयोजित कार्यक्रम में सत्यशील त्रिपाठी, सलीम मज़हर, आकृति विज्ञा अर्पण, प्रियंका दुबे प्रबोधिनी, हिमांशु सहुलियार, वसीम मज़हर, सृजन गोरखपुरी, डा. चेतना पांडेय, सिद्दीक मजाज, वीरेन्द्र मिश्र दीपक, सरवत जमाल और डा. जय प्रकाश नायक ने अपनी रचनाओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया। गोष्ठी में सुरेन्द्र शास्त्री को श्...