नई दिल्ली, मई 24 -- नई दिल्ली, कार्यालय संवाददाता। तीस हजारी अदालत ने वर्ष 2015 में मनीष नामक युवक की हत्या मामले में दो दोषियों गुरचरण सिंह उर्फ चरण सिंह और शीशराम उर्फ राम को उम्रकैद की सजा सुनाई है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश वीरेंद्र कुमार खर्ता की अदालत ने कहा कि यह मामला दुर्लभतम अपराध की श्रेणी में नहीं आता, इसलिए मौत की सजा नहीं दी गई। दोनों दोषियों पर एक-एक हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। मामले में अदालत ने स्पष्ट किया कि गरीबी कोई छूट का आधार नहीं हो सकती और कानून का मकसद अपराधी के साथ-साथ पीड़ित को भी न्याय देना है। इसके अलावा, अदालत ने मनीष के परिजनों की स्थिति को ध्यान में रखते हुए दिल्ली पीड़ित मुआवजा योजना 2018 के तहत उसके परिजनों को मुआवजा दिए जाने की सिफारिश की है।
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