अमरोहा, जुलाई 7 -- कर्बला के मैदान में करीब 1400 साल पहले रेगिस्तान की तपती हुई रेत पर भूख और प्यास की शिद्दत के बीच दस मोहर्रम को हुई इमाम हुसैन की शहादत की याद में रविवार को शहर का माहौल गमगीन रहा। ताजियों और तुरबतों के जुलूस निकालकर दीने इस्लाम की खातिर दी गई नवासा-ए-रसूल की कुर्बानी को शिद्दत से याद किया गया। इमामबाड़ों से लेकर घरों तक मातम का सिलसिला देर रात तक जारी रहा। शहादत को याद कर लोगों की आंखे नम हो गईं। फिजा में देर रात तक हर तरफ से सिर्फ या हुसैन-या हुसैन की सदाओं की गूंज सुनाई देती रही। वहीं, जिले में सभी स्थानों पर ताजियों के जुलूस शांतिपूर्ण माहौल में संपन्न होने पर पुलिस-प्रशासनिक अफसरों ने राहत की सांस ली। यौमे आशूरा पर रविवार सुबह करीब छह बजे पहले जुलूस की शुरुआत मोहल्ला गुजरी स्थित इमामबाड़ा मुस्ममात नूरन से हुई। यहां...