लखनऊ, सितम्बर 14 -- जन संस्कृति मंच (जसम) की ओर से बलराज साहनी सभागार सालाना जलसा 'याद ए तश्ना' का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में उर्दू शायर तश्ना आलमी की शायरी की किताब कलाम तश्ना के विमोचन भी हुआ। तश्ना आलमी का निधन सात साल पहले हुआ था। उनके जीवन काल में एक किताब 'बतकही' प्रकाशित हो पाई थी। अध्यक्षता प्रसिद्ध रंग निर्देशक तथा जसम के राष्ट्रीय अध्यक्ष जहूर आलम ने की। जहूर आलम ने कहा कि यह अंधेरे का समय है। इसको चीर कर आगे बढ़ना होगा। प्रोफेसर प्रणय कृष्ण ने 'विभाजनकारी संस्कृति और जन प्रतिरोध' विषय पर बोलते हुए कहा कि यह उलटबांसी का दौर है। स्मृतियों का गृहयुद्ध चल रहा है। आज भूलने के विरुद्ध लड़ाई है। समाज को बांटने और नफरत फैलाने वाली शक्तियां हावी हैं । विचारों की स्वतंत्रता पर हमले हो रहे हैं। बिना मुकदमा चलाए लोकतंत्रवादियों को जेल म...