मथुरा, दिसम्बर 17 -- एक्सप्रेसवे पर हुए भीषण हादसे के बाद स्लीपर बसों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। हादसे के वक्त बस में सवार यात्रियों को न तो बाहर कूदने का मौका मिला और न ही आपातकालीन द्वार खोल पाने का। कम जगह और अव्यवस्थित ढांचे के कारण कई यात्री बस की गैलरी में ही फंस गए, जहां धुएं से दम घुटने के बाद वे अचेत हो गए और आग की चपेट में आकर जिंदा जलकर मौत की नींद सो गए। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, हादसे के समय बस में इतनी कम जगह थी कि नींद से जागे यात्री बाहर निकल ही नहीं सके। बसों को मालिकों द्वारा मॉडीफाई कराकर सीट और स्लीपर की संख्या बढ़ा दी गई थी, लेकिन इस दौरान तय मानकों की अनदेखी की गई। सीटों और स्लीपर के बीच छोड़ी जाने वाली दूरी बेहद कम थी, खिड़ियों पर पर्दे पड़े होने की वजह से बाहर देख पाना और उनके शीशे तोड़ना भी संभव न...