नई दिल्ली, सितम्बर 10 -- दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को कहा कि उपराज्यपाल वीके सेक्सेना की ओर से जारी अधिसूचना (जिसमें पुलिस अधिकारियों को पुलिस थानों से अदालतों में वर्चुअल साक्ष्य प्रस्तुत करने की अनुमति दी गई है) प्रथम दृष्टया निष्पक्ष सुनवाई की अवधारणा से समझौता करने वाला नजर आ रहा है। मुख्य न्यायाधीश देवेन्द्र कुमार उपाध्याय एवं जस्टिस तुषार राव गेडेला की पीठ ने कहा कि उपराज्यपाल वीके सेक्सेना को निर्दिष्ट स्थानों की पहचान करने का अधिकार है। अदालत उनकी शक्तियों पर सवाल नहीं उठा रही है, वरन पुलिस थानों के चयन को लेकर सवाल उठ रहे हैं। पीठ ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा से कहा कि निष्पक्ष सुनवाई क्या है क्या अभियोजन पक्ष के गवाहों को अपने स्थानों से गवाही देने की अनुमति देकर किसी आरोपी के निष्पक्ष सुनवाई के अधिकार से समझौता नहीं किय...
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