नई दिल्ली, अगस्त 26 -- नई दिल्ली। प्रमुख संवाददाता यह आत्मकथा हर उस आम बच्चे की आत्मकथा है, जो जिंदगी में आगे बढ़ना और कुछ करना चाहता है। यह प्रो. श्यौराज के संघर्षों की सफलता की गौरवगाथा है। यह आत्मकथा छात्रों के लिए महत्वपूर्ण है। उक्त बातें प्रसिद्ध डीयू के कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने लेखक व हिंदी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. श्यौराज सिंह बेचैन की आत्मकथा 'मेरा बचपन मेरे कंधों पर' के छात्र संस्करण के लोकार्पण अवसर पर कही। यह आयोजन मंगलवार को दिल्ली विश्वविद्यालय में आयोजित किया गया। इस अवसर पर कुलपति ने कहा कि इनकी लेखन शैली बाकी लेखकों से भिन्न है। जैसे-जैसे हम इस आत्मकथा को पढ़ते हैं, एक जीवंत चित्र हमारे सामने उभरता है। इसमें बिंब हैं, संवेदनाएं हैं, जो बताती हैं कि यह लेखक विशिष्ट है। यह आत्मकथा विभिन्न प्रसंगों के माध्यम से उन...