छपरा, अप्रैल 23 -- गड़खा, एक संवाददाता। यज्ञ से किसी एक व्यक्ति का नहीं बल्कि पूरे विश्व का कल्याण होता है। परमात्मा स्वयं यज्ञ रूप हैं। उनका बनाया जगत भी यज्ञमय है। जहां यज्ञादि उत्तम कार्य होते हैं, वहीं परमात्मा वास करते हैं। ये बातें डॉ पुंडरीक शास्त्री ने जिले के सुप्रसिद्ध सूर्य नरायण मंदिर कोठियां-नरावं परिसर में चल रहे नव दिवसीय नारायण विश्व शांति महायज्ञ में प्रवचन के दौरान कही। उन्होंने कहा कि परमात्मा स्वयं यज्ञ रूप हैं। उनका बनाया जगत भी यज्ञमय है। जहां यज्ञादि उत्तम कार्य होते हैं, वहीं परमात्मा वास करते हैं। उपनिषद कहते हैं कि जिससे परमात्मा जाना जाए वह सारा विधि विधान यज्ञ कहलाता है। डॉ शास्त्री ने कहा कि यज्ञ में आहुति दिये गए पदार्थ सहस्त्रों गुणा बढ़ जाती है। जैसे एक मिर्च को एक व्यक्ति सरलता से खा सकता है, लेकिन अगर उसे अ...