भभुआ, अप्रैल 29 -- वृद्धा दरवाजे पर खड़ी रहती हैं जलपात्र लिए, दर्शन कर अंदर करते हैं प्रवेश आंगन में बने चौका के पास एक साथ बैठ प्रसाद खाते हैं घर के पुरुष-महिला (हिन्दुस्तान खास/पेज चार की फ्लायर खबर) भभुआ, कार्यालय संवाददाता। कैमूर में एक ऐसी पूजा की परंपरा आज भी कायम है, जिसमें शामिल होनेवाले लोग न जुबान खोलते हैं और न आजू-बालू वाले लोगों को देखते हैं। अगले दिन वह अपने गांव की सीमा से बाहर निकलने से भी परहेज करते है। यह पूजा रात में तब होती है, जब ग्रामीण सो जाते हैं। किसान थाल में मौसमी फल, फूल, अक्षत, घी, धूप, अगरबत्ती, जलपात्र, धान के बीज, प्रसाद और कुदाल लेकर खेत पर जाते हैं। वहां धरती मां की पूजा कर प्रार्थना करते हैं कि 'हे मां मैं आपके गर्भ से अन्न उत्पन्न करने जा रहा हूं। मुझे धन-धान्य से संपन्न करें। फिर वह धान के बीज को खेत म...
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