मुख्य संवाददाता, जनवरी 30 -- मौनी अमावस्या पर हुए हादसे की पृष्ठभूमि मकर संक्रांति के पहले शाही स्नान के दिन ही तैयार हो गई थी। संक्रांति पर आधी रात होने से पहले ही मेला प्रशासन की व्यवस्था तार-तार हो गई थी। यही स्थिति मंगलवार रात हो गई जब मौनी अमावस्या स्नान के इंतजार में संगम नोज पर सो रहे श्रद्धालुओं पर भीड़ बैरिकेड्स तोड़कर चढ़ गई। जान चली गईं। यदि मकर संक्रांति पर बैरिकेड्स टूटने की घटना से सबक लेकर पुख्ता इंतजाम किए गए होते तो शायद मुख्य स्नान पर्व पर यह हादसा नहीं होता। मकर संक्रांति पर भी लाखों की संख्या में उमड़े श्रद्धालु आधी रात को ही अखाड़ों के स्नान के लिए आरक्षित मार्ग के बैरिकेड्स तोड़कर अंदर घुस गए थे। संगम नोज पर जहां सिर्फ अखाड़ों के साधु, संत, नागा संन्यासी, ब्रह्मचारी, बैरागी स्नान करते हैं वहां बड़ी संख्या में आम श्रद...