सीवान, मई 15 -- आशुतोष कुमार/राजीव सीवान। जीवनसाथी से बिछुड़ने का गम खाए जा रहा था, पर आंखों से आंसू छलके तो उनमें फख्र था। देश के लिए मर-मिटने की कसम खाकर घर बीते 10 अप्रैल से निकले आर्मी जवान रामबाबू सिंह के पार्थिव शरीर से तिरंगा हटाकर, शहीद की पत्नी अंजलि के हाथ में आर्मी के जवानों ने जब बुधवार को सौंपा। कदम जरूर लड़खड़ा रहे थे, लेकिन तिरंगा को उसने ने ऐसे जकड़ रखा था, जैसे अब इसी को रामबाबू की याद बनाकर रखेंगी। दो दिन से हिम्मत बांधे पत्नी अचानक शव के पास गिर पड़ी। घरवालों ने संभाला। मायके से आए पिता- मां ने संभालने की बहुत कोशिश की, लेकिन पत्नी यही कहती रही कि जल्द घर आने का वादा किया था, लेकिन अब बेजान शरीर पहुंचा है। अंजलि ने बताया कि हमारे उनके बीच शादी के बाद से ही रिश्ता नहीं था। बल्कि यह रिश्ता आठ सालों का था। जब हम दोनों एक साथ दि...