भागलपुर, अप्रैल 29 -- भागलपुर, हिन्दुस्तान प्रतिनिधि। शादी-ब्याह में दूल्हे के सिर की शान माने जाने वाले मोर की चमक अब फीकी पड़ने लगी है। सदियों पुरानी इस परंपरा को अब केवल रस्म अदायगी के लिए खरीदा जा रहा है। परंपरागत मोर के बजाय अब दूल्हे की पसंद ब्रांडेड सेहरे या पगड़ी बनते जा रहे हैं। लोहिया पुल स्थित मोर गली के थोक विक्रेता रवि कुमार राम ने बताया कि दूल्हे का मोर परंपराओं को निभाने के लिए अभी भी लोग खरीद रहे हैं, लेकिन इसको लेकर पहले जैसी रौनक नहीं रही। शादी-विवाह में पहले आकर्षण का केंद्र मोर था, अब इसे सिर्फ नियम निभाने के लिए लिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि एक मोर बनाने में करीब एक घंटे का समय लगता है, अगर किसी ग्राहक की विशेष डिमांड पर मोर बनानी हो तो उसमें अधिक समय भी लग जाता है, लेकिन अब ग्रामीण इलाकों के लोग भी दूल्हे के लिए ...
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